30 August 2023 by Bhanwar Singh Thada
योगासन के उपयोगी नियम होते हैं। पद्मासन , भद्रासन , सिद्धासन या सुखासन आदि किसी भी आसन में स्थिरता और सुखपूर्वक बैठना आसन कहलाता है। साधक को जप , उपासना एवं ध्यान आदि करने के लिए किसी भी आसन में स्थिरता और सुखपूर्वक बैठने का लम्बा अभ्यास करना चाहिए। योग Yoga – आसन के उपयोगी नियम का पालन करना चाहिए।
1.समय
आसन प्रातः – सायं दोनों समय कर सकते है। यदि दोनों समय नहीं कर सकते तो प्रातः काल का समय उत्तम है। प्रातः काल मन शान्त रहता हैं। प्रातः शौचादि से निवृत होकर खाली पेट तथा दोपहर भोजन के लगभग पांच से छः घण्टे बाद सायंकाल आसान कर सकते है।
आसन करने से पहले शौच आदि से निवृत होना चाहिए। यदि कब्ज आदि की शिकायत है तो प्रातः काल तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए इसके बाद थोड़ा घूमें इससे पेट साफ हो जाएगा।
2.स्थान
आसन के लिए स्वच्छ , शान्त एवं एकान्त स्थान उत्तम है। यदि वृक्षों की हरियाली के पास , बाग , तालाब या नदी का किनारा हो तो सर्वोत्तम है। खुले वातावरण एवं वृक्षों के नजदीक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में होती है , जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। यदि घर पर आसन प्राणायाम करें तो घी का दीपक या गुग्गल आदी को जलाकर उस स्थान को सुगंधित करें तो बेहतर है।
3. पहनावा
योग आसन करते समय शरीर पर वस्त्र कम और सुविधाजनक होने चाहिए। कपड़े सूती हो तो उत्तम है। पहनावा बहुत टाईट नहीं होना चाहिए।
4.आसन एवं अभ्यास का समय
भूमि पर बिछाने के लिए मुलायम दरी का उपयोग करना उचित है। बिना आसन बिछाए योगासन न करें। अपने सामर्थ्य के अनुसार आसन करना चाहिए। योगासन का पूर्ण अभ्यास एक घंटा , मध्यम अभ्यास आधा घंटा एवम् संक्षिप्त अभ्यास १५ मिनट में होता है। स्वस्थ्य जीवन के लिए आधा घंटा तो प्रत्येक मानव को योगासन करना चाहिए।
5.आयु
योगासन करते समय मन एकाग्र कर प्रसन्नता एवं उत्साह के साथ अपनी आयु , शारीरिक शक्ति और क्षमता का पूरा ध्यान रखते हुए यथाशक्ति अभ्यास करना चाहिए। तभी वह योग से सही लाभ उठा सकेगा। वृद्ध और दुर्बल व्यक्तियों को आसान एवं प्राणायाम अल्प मात्रा में करने चाहिए।
दस वर्ष से अधिक आयु के बालक सभी यौगिक अभ्यास कर सकते है। गर्भवती महिलाएं कठिन आसन आदि नहीं करें। वे केवल धीरे धीरे दीर्घ श्वसन , प्रणव नाद एवं गायत्री आदि पवित्र मंत्रो द्वारा ध्यान करें।
6.अवस्था एवं सावधानियां
सभी अवस्थाओं मेंआसन एवं प्राणायाम किए जा सकते हैं। योगासन से स्वस्थ्य व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बनता है। वह रोगी नहीं होता और रोगी व्यक्ति स्वस्थ होता हैं। परन्तु फिर भी कुछ ऐसे आसन है जिनको रोगी व्यक्ति को नहीं करना चाहिए जैसे – जिनके कान बहते हो , नेत्रों में लाली हो , स्नायु एवं हृदय दुर्बल हो उनको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
कमजोर हृदय वालों को अधिक भारी आसन जैसे पूर्ण शलभासन , धनुरासन आदि नहीं करना चाहिए। अंडवृद्धि वालो को भी ये आसन नहीं करना चाहिए जिनसे नाभी के नीचे वाले हिस्से पर अधिक दबाव पड़ता है।
उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को सिर के बल किए जाने वाले शीर्षासन आदि तथा महिलाओं को ऋतुकाल में ४- ५ दिन आसनों का अभ्यास नहीं करना चाहिए। जिनको कमर और गर्दन में दर्द रहता हो वे आगे झुकने वाले आसन न करें।
7.भोजन
भोजन आसन के लगभग आधे घंटे बाद करना चाहिए। भोजन में सात्विक पदार्थ हो। तले हुए गरिष्ठ भोजन के सेवन से जठर विकृत हो जाता है। आसन के बाद चाय नहीं पीनी चाहिए। एक बार चाय पीने से यकृत आदि कोमल ग्रंथियों के लगभग 50 सेल्स निष्क्रिय हो जाते है। चाय से भूख को कम करना , अम्लपित , गैस , कब्ज आदि रोग को पैदा करने में सबसे अधिक योगदान होता है।
8. श्वास – प्रश्वास का नियम
आसन करते समय सामान्य नियम है कि आगे की ओर झुकते समय श्वास बाहर निकालते हैं तथा पीछे की ओर झुकते समय श्वास अन्दर भरकर रखते हैं। श्वास नासिका से ही लेना और छोड़ना चाहिए । मुंह से श्वास न लें।
9.दृष्टि
योगासन करते समय आंखें बन्द करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जिससे मानसिक तनाव एवम् चंचलता दूर होती है। सामान्यतः आसन एवं प्राणायाम आंखें खोल कर भी कार सकते हैं।
10.योगासनों का क्रम
योगासन करने का एक क्रम होता है जैसे यदि कोई आसान दाईं करवट करें तो उसे बाई करवट भी करें। इसके अतिरिक्त आसनों का क्रम भी होता है जैसे – सर्वागासन के उपरान्त मत्स्यासन, मंडूकासन के बाद उष्ट्रासन किया जाए। प्रारंभ में दो चार दिन मांसपेशियों और संधियों में हल्की पीड़ा अनुभव करेंगे। निरन्तर अभ्यास से पीड़ा स्वत: शांत हो जाएंगी।
लेटी हुई अवस्था में किए गए आसनों के बाद जब भी उठा जाए बाई करवट की ओर झुकते हुए उठना चाहिए। आसन के अभ्यास के अन्त में आठ – दस मिनट के लिए शवासन अवश्य करें ताकि अंग – प्रत्यंग शिथिल हो जाएं।
11.विश्राम
आसन करते हुए जब जब थकान हो , तब तब शवासन या मकरासन में विश्राम करना चाहिए। थक जानें पर बीच में भी विश्राम कर सकते है।
12. गुरु
योग की सिद्धि गुरु कृपा और गुरु उपदिष्ट मार्ग से ही होती है। इसलिए योगासन , प्राणायाम , ध्यान आदि का अभ्यास प्रारम्भ में गुरु के सानिध्य में ही करना चाहिए।
13.यम – नियम
योग अभ्यास में यम नियम का पालन पूरी शक्ति के साथ करना चाहिए। बिना यम नियमों के कोई भी व्यक्ति योगी नहीं बन सकता।
14. कठिन आसन
जिनका पहले फ्रेक्चर हुआ हो , वे कठिन आसनों का अभ्यास न करें अन्यथा उस स्थान पर हड्डी दुबारा टूट सकती है।
15.शरीर का तापमान
शरीर का तापमान अधिक उष्ण होने पर या ज्वर होने की स्थिति में योगाभ्यास करने से तापमान बढ़ जाए तो चंद्रस्वर यानी बाई नासिका से श्वास अन्दर खींचकर (पूरक) , सूर्य स्वर यानी दाई नासिका से श्वास बाहर (रेचक) निकालना चाहिए । ऐसा करने से तापमान सामान्य हो जाता हैं।
आपकों भी योग से शरीर को निरोग रखना चाहिए। आपके अमूल्य सुझाव , क्रिया प्रतिक्रिया स्वागतेय है।
योगासन की अधिक जानकारी के लिए – शवासन ( योगनिंद्रा ) – मृत्यु नहीं जीवन देने वाला आसन है