शीर्षासन Headstand – अद्भुत योग और इसके लाभ

20 September 2023 by Bhanwar Singh Thada

शीर्षासन का शाब्दिक अर्थ होता है , सिर (Head) का आसन । योग शास्त्र में शीर्षासन (Headstand ) को सभी आसनों का राजा कहा जाता है । यह एक अद्भुत आसन है। और इसके अनेक लाभ है । स्किन में ग्लो , ओज , तेज , ब्रह्मचर्य , ध्यान एवं स्मरण शक्ति में अद्भुत लाभ होता हैं।

शीर्षासन के लाभ

  1. शीर्षासन हमारी पिट्यूटरी ग्रन्थि एवं पीनियल ग्रंथियों को क्रियाशील करता है ।
  2. शीर्षासन हमारे फेफड़ों की क्रियाशीलता को बढ़ा कर श्वसन तंत्र को मजबूत करता है जिससे अस्थमा एवं दमा में फायदा होता है ।
  3. शीर्षासन करने से हमारे शरीर में रक्त का संचार बढ़ने से मस्तिष्क में खून का प्रवाह सुचारु रूप से होता है जिससे मानसिक तनाव और अवसाद में लाभ होता है । एवं स्मरण शक्ति , ध्यान का विकास होता है ।
  4. इस आसन से हमारे शरीर की हड्डियों का समुचित विकास होता है । जिससे हड्डीया मजबूत होती है किशोरावस्था में इस आसन को करने से बच्चों का विकास जल्दी होता है ।
  5. शीर्षासन से पाचन अंग क्रियाशील होने से कब्ज आदि में राहत मिलती है ।
  6. महिलाओं में मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करता है ।
  7. शीर्षासन नियमित करने से पूरे शरीर में खून का संचार होने से हमारे तेज और स्किन में ग्लो आता है ।
  8. शीर्षासन करने से शरीर के रोग जैसे – अस्थमा ,अनिंद्रा ,माइग्रेन और साइनस में लाभ होता है ।
  9. शीर्षासन थायरायड ग्रन्थि को सक्रिय कर कमजोरी एवं मोटापा दोनों को दूर करता है क्योंकि थायरायड ग्रन्थि की अनियमितता से मोटापा और कमजोरी होती है ।
  10. शीर्षासन से ब्रह्मचर्य को स्थिर कर सकते है । एवं आपके ओज और तेज में वृदि होती है ।

शीर्षासन कैसे करें ?

किसी भी आसन को नियम पूर्वक करने से ही लाभ होता है । यदि आप पहली बार कर रहें है तो घर की दीवार का सहारा ले सकते है ।

  1. शीर्षासन सुबह खाली पेट करना चाहिए सबसे पहले जमीन पर कंबल ,दरी या मैट को बिछा कर वज्रासन में बैठ जाए ।
  2. वज्रासन में बैठ कर अपना सिर नीचे धरती पर टिका कर धीरे -धीरे आगे झुकते हुए अपनी दोनों कोहनियों को जमीन पर टीका दें ।
  3. अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मजबूती से जोड़ ले इनके बीच में आपका सिर रख कर उसे सहारा देवें ।
  4. अब शरीर का भार गर्दन एवं कोहनियों पर संतुलित करते हुए पैरों को भूमि के समानांतर सीधा करें ।
  5. अब एक घुटने को मोड़ते हुए ऊपर उठाए , उसके बाद दूसरे घुटने को भी ऊपर उठाकर मोड़कर रखें ।
  6. अब मुड़े हुए घुटने को क्रमशः एक एक करके ऊपर उठाने का प्रयास करे शुरुआत में शीघ्रता नहीं करनी चाहिए धीरे -धीरे पैर सीधे होने लगेंगे जा पैर सीधे हो जाए , तब आपस में मिलाकर प्रारंभ में थोड़ा आगे की और झुकाकर रखें , नहीं तो पीछे की तरफ गिरने का भय होता है ।
  7. आंखे बंद कर ,श्वास की गति सामान्य रखें ।
  8. जिस क्रम से पैर ऊपर उठे थे ,उसी क्रम से उन्हे वापिस पूर्व स्थिति में लाना चाहिए अपनी प्रकृति के अनुसार शीर्षासन के बाद शवासन करें या खड़े हो जाए , जिससे रक्त का प्रवाह जो मस्तिष्क की ओर हो रहा था , वह सामान्य हो जाए ।
  9. शीर्षासन 15 सेकंड से प्रारंभ करके आधे घंटे तक कर सकते है अधिक अभ्यास किसी के सानिध्य में करें सामान्य अवस्था में 5 से 10 मिनट तक करना पर्याप्त है ।
  10. शुरुआत में आप अपने घर की दीवार का सहारा ले कर भी इसका अभ्यास कर सकते है फिर धीरे -धीरे अभ्यस्त होने के बाद बिना सहारे के भी कर सकते है ।

शीर्षासन में सावधानियाँ

  1. यदि आप हृदय , हाई ब्लड प्रेशर या कमर दर्द के रोगी है तो शीर्षासन न करे ।
  2. भरी कसरत या व्यायाम करने के तुरंत बाद शीर्षासन न करें । अपने शरीर का तापमान सामान्य होने दें
  3. जिनके कानों में दर्द हों या कान बह रहे है तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए ।
  4. जिनके आँखों में अधिक लालिमा हो या आँखों मे दोष हो तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए ।
  5. नजला या जुकाम हो तो यह आसन न करे । हाँ ठीक होने पर कर सकते है ।
  6. शीर्षासन का अभ्यास धीरे – धीरे करना चाहिए ।
  7. पहली बार में किसी प्रशिक्षित योगाचार्य की देख रेख में करे तो चोट से बचा जा सके ।

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