2 September 2023 by Bhanwar Singh Thada
स्वस्थ शरीर के लिए योग और सात्विक आहार आवश्यक होता है। आहार से हमारे शरीर का निर्माण होता है। आहार का शरीर पर ही नहीं बल्कि मन पर भी पूरा प्रभाव पड़ता है – जैसा अन्न , वैसा मन । स्वस्थ शरीर के लिए हमारा आहार भी सात्विक होना चाहिए। हमारे भोजन पर ही हमारा स्वास्थ्य निर्भर करता है। सात्विक आहार से ही सात्विक मन का निर्माण होता हैं।
महर्षि चरक के प्रबुद्ध शिष्य वागभट्ट के अनुसार –
- आहर हितकारी , उचित मात्रा एवं ऋतु के अनुकूल भोजन करने वाला स्वस्थ होता है।
- अपनी प्रकृति (वात, पित्त, कफ) को जानकर उसके अनुसार भोजन करें। यदि वात प्रकृति है, शरीर में वायु विकार होते हैं तो चावल आदि वायु कारक एवं खट्टा भोजन का त्याग कर देना चाहिए। छोटी पीपली, सोठ, अदरक आदि का प्रयोग करते रहना चाहिए।
- पित्त प्रकृति वाले को गर्म, तले हुए पदार्थ नहीं लेने चाहिए। इसमें घीया, खीरा, ककड़ी आदि कच्चा भोजन लाभदायक होता हैं।
- कफ प्राकृति वाले को ठंडी चीजें चावल, दहीं, छाछ आदि का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। दूध में छोटी पिप्पली, हल्दी आदि डालकर सेवन करना चाहिए।
- हमारे पेट (अमाशय) का आधा भाग अन्न के लिए, चौथा भाग पेय पदार्थो के लिए एवं शेष भाग वायु के लिए छोड़ना उचित है।
- ऋतु के अनुसार पदार्थो का मेल करके सेवन करने से रोग पास नहीं आते। भोजन का समय निश्चित होना चाहिए। असमय पर किया हुआ भोजन अपचन करके रोग उत्पन्न करता है।
- प्रातः काल आठ से नौ के बीच हल्का पेय , फलादि लेना अच्छा है। प्रातः काल में अन्न का प्रयोग जितना कम हो, शरीर के लिए उतना उत्तम है।
- पचास वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति प्रातराश न ले तो अच्छा है। मध्यान्ह में ग्यारह से बारह बजे तक भोजन लेना उत्तम है। बारह से एक बजे का समय मध्यम, उसके बाद उत्तरोत्तर निकृष्ट माना जाता है।
- सायंकाल सात से आठ का समय उत्तम, आठ से नौ का समय मध्यम और नौ बजे के बाद उत्तरोत्तर निकृष्ट समय होता है।
- भोजन करते समय वार्तालाप करने से भोजन अच्छी तरह से चबाया नहीं जाता तथा अधिक भी खा लिया जाता हैं। इसलिए भोजन के समय मौन रहकर भगवन नाम का स्मरण करते हुए चबा चबाकर भोजन करना चाहिए। एक ग्रास को बत्तीस बार या कम से कम बीस बार तो चबाना ही चाहिए। चबाकर भोजन करने से हिंसा भाव की भी निवृति होती है।
- भोजन के प्रारम्भ में ॐ या गायत्री आदि मंत्रजप के साथ तीन आचमन करने चाहिए। भोजम के बीच में पानी नहीं पीना चाहिए। यदि भोजन रुक्ष हो तो थोड़ी मात्रा में पी सकते हैं। भोजन के बाद दो तीन घुट से ज्यादा पानी नहीं पीए।
सात्विक आहार
आहार के संबंध में संस्कृत का एक श्लोक आता है, जिसका तात्पर्य है – ” जो प्रातः काल उठकर जलपान करता है, रात्रि को भोजन के बाद दुग्धपान तथा मध्यान्ह में भोजन के बाद छाछ पीता है उसे वैद्य की आवश्यकता नहीं होती। ” अर्थात् वह निरोग रहता हैं।
स्वस्थ आहार अर्थात ऐसे खाद्य पदार्थों से हे , जो विटामिन , कॅल्शियम , प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते है । आहार जो आपको सेहतमंद और तंदूरस्त रखने का काम काम करे और शरीर को रोगों से दूर रखे | भोजन में खनिज, लवण एवं विटामिन बी भरपूर होने चाहिएं। इसे निम्न पाँच भागों मे बाँटा जा सकता है।
- फल
- हरी सब्जियां और फलिया
- अनाज
- दुग्ध और उसके उत्पाद
सात्विक आहार के लाभ
सात्विक आहार से शरीर ही नहीं अपितु आपका मन – मस्तिष्क भी सवस्थ रहता है।
- स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ्य और सात्विक आहार से शरीर मजबूत होता हैं।
- स्वस्थ्य एवं सात्विक आहार से हड्डियां मजबूत होती है।
- पौष्टिक आहार बच्चों के विकास एवं गर्भवती महिलाओं के लिए अतिआवश्यक होता है।
- हरी – सब्जियां और फल हमारे शरीर के विभिन्न रोगों जैसे – कैंसर, डायबिटीज, हृदय, मोटापा एवम् ब्लड प्रेशर आदि रोगों से बचाव करने में मदद करते हैं। इनमें रेशों (फाइबर) की मात्रा अधिक होती हैं।
फल एवं उनका ज्यूस
फलों एवं उनके रस से शरीर स्वस्थ बनता है। शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व फलों में उपलब्ध होते हैं। दैनिक जीवन में फलों को हमारे आहार में सम्मिलित करना चाहिए। इनमें उच्च क्वालिटी का फाइबर होता है। । फलों में संतरा , सेव , आम या अपनी पसंद का कोई भी एक या दो फल आप अपने खाने में शामिल अवश्य करें। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वजन घटाने में सहायक होते हैं। इनका प्रयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
हरी सब्जियां
हरी सब्जियों में विटामिन, कैल्शियम, मिनरल्स और ऐंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो शरीर को स्वस्थ रखते है। ये कई गंभीर रोगों से बचाने में मदद करते हैं। प्रतिदिन हरी सब्जियों का उपयोग करना चाहिए।
अनाज
अनाज हमारा मुख्य भोजन है। गेंहू, मक्का, बाजरा, ज्वार और चावल हमारा मुख्य भोजन रहा है। ये शरीर में ऊर्जा की पूर्ति का काम करते हैं। जिससे शरीर स्वस्थ और तंदुरस्त रहता है। हम सब नियमित रूप से अनाज का उपयोग करते हैं लेकिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मिलेट्स (श्री धान्य या देशी अनाज) जैसे – रागी (finger millets) , कांगनी (foxtail millets) , सावा (barnyard) , कोदो या कोदरा (kodo millets) आदि का उपयोग करना चाहिए। Millets को भोजन में शामिल करके लम्बा जीवन जी सकते है और रोगों से बचाव कर सकते हैं।
दूध और उसके उत्पाद
दूध में कई तरह के पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन बी 12 होते हैं। जो स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। दूध में देशी गाय का दूध हो तो उत्तम माना जाता है। यह विभिन्न बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है और हमारा शरीर स्वस्थ, तंदुरस्त रहता हैं।
भोजन सात्विक और शाकाहारी होना चाहिए
भोजन में मांस , मछली , अंडे आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए। भगवान ने हमें शाकाहारी बनाया है। जब हम रोटी खाकर जी सकते है, जिसमें किसी की हिंसा नहीं, तो किसी प्राणी की हत्या करके उसके जीवन को समाप्त करके जीने की क्या आवश्यकता है। अतः हमें शाकाहारी होना चाहिए।
मांस खाने से दया, करुणा, सहानुभूति, प्रेम, अपनत्व, श्रृद्धा एवं भक्ति आदि मानवीय गुणों का अन्त हो जाता है। मानव दानव हो जाता है। मांसाहारी का पेट एक मुर्दाघाट (श्मशान घाट) की तरह होता हैं।
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